कांग्रेस राज्य मुख्यालयों पर यह विरोध प्रदर्शन उसी दिन करने जा रही है जिस दिन किसान संगठनों और सरकार के बीच अगले दौरे की बातचीत प्रस्तावित है. अब तक हुई आठ दौर की बातचीत बेनतीजा रही है.
शहरों का नाम बदलने की ऐसी और भी मांगों के जोर पकड़ने से वैचारिक रूप से प्रतिद्वंद्वी—शिव सेना, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस—राजनीतिक दलों के नाजुक गठबंधन एमवीए में खाई चौड़ी हो सकती है.
पश्चिम बंगाल के प्रभारी जितिन प्रसाद ने दिप्रिंट को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि इन चुनावों में कांग्रेस का जोर ‘राज्य की आत्मा को बचाने’ पर है.
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने तीन अधिकारियों को सिंघु बॉर्डर भैजा है ताकि वो किसानों के बीच नरम धड़े से बात करे और मोदी सरकार द्वारा हाल में दी गई रियायतों को स्वीकार करने को कहे.
बाबरी मस्जिद ढहाने पहुंची भीड़ में शामिल रहे रामेश्वर शर्मा को भड़काऊ बयान देने के लिए जाना जाता है—चाहे वह ‘लव जिहाद’ को लेकर हो या फिर मध्य प्रदेश में हालिया सांप्रदायिक तनाव की वजह बनने वाली टिप्पणियां.
दिप्रिंट को दिए एक ख़ास इंटरव्यू में, सिद्दीक़ी ने मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया, कि वो ‘मुसलमानों का उत्थान नहीं बल्कि तुष्टिकरण कर रही हैं’, और ये भी कहा कि वो राज्य में ‘बीजेपी जैसी सांप्रदायिक ताक़त के, घुसने का रास्ता साफ कर रही हैं’.
राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘सर्दी की भीषण बारिश में टेंट की टपकती छत के नीचे जो बैठे हैं सिकुड़-ठिठुर कर, वो निडर किसान अपने ही हैं, ग़ैर नहीं. सरकार की क्रूरता के दृश्यों में अब कुछ और देखने को शेष नहीं.’
मोदी की मौजूदगी बाकी तमाम मुद्दों को एक किनारे सरका कर लोगों के दिमाग पर छा जाने के मामले में अब नाकाफी है. साधारण राजनीति वापिस आ रही है और लंबे वक्त से दबे चले आ रहे मुद्दे अब सिर उठा रहे हैं.