भले ही बीजेपी का लक्ष्य उत्तर बंगाल में 2019 की जीत को दोहराना हो, टीएमसी अलीपुरद्वार, जलपाईगुड़ी, कूच बिहार, रायगंज, बालुरघाट और दार्जिलिंग सीटों पर दावा करने के लिए आक्रामक है.
आज़ाद इस चुनाव में अपनी पार्टी के अकेले उम्मीदवार हैं, जो आरक्षित सीट नगीना से चुनाव लड़ रहे हैं. वे निर्वाचन क्षेत्र के युवाओं के बीच लोकप्रिय हैं, लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि पूरे यूपी में उपस्थिति के लिए उन्हें और अधिक कोशिश करने की ज़रूरत है.
रालोद के बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में शामिल होने के साथ, सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील कैराना में जाटों और मुसलमानों के बीच एकजुटता खत्म हो रही है, जहां 19 अप्रैल को सपा की इकरा हसन बीजेपी के प्रदीप चौधरी के खिलाफ मैदान में उतरेंगी.
मसूद ने आखिरी बार 2007 में चुनाव जीता था. लगातार चुनाव हारने के बावजूद, स्थानीय भाजपा नेता मानते हैं कि सहारनपुर में उनका मजबूत आधार है, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए उन पर निशाना साधा कि उन्होंने साल में 3 पार्टियां बदलीं हैं.
राहुल कस्वां ने 2014-2019 में चूरू से बीजेपी से जीत हासिल की, लेकिन इस बार टिकट नहीं मिलने के कारण वे कांग्रेस में शामिल हो गए. उनका कहना है कि राजस्थान बीजेपी के जिन नेताओं ने उनके माता-पिता को ‘गाली’ दी, उन्हें पार्टी में पद दिए गए.
योगी आदित्यनाथ सरकार में मुसलमान रात में घर से बाहर निकलने पर 'सुरक्षित महसूस' करते हैं और स्वीकार करते हैं कि छीना-झपटी, लूटपाट और छेड़छाड़ की घटनाएं कम हो गई हैं. लेकिन बीजेपी को वोट देने से कतराते हैं.
दिप्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में पाटलिपुत्र से भाजपा सांसद ने लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती के खिलाफ आगामी चुनावों में अपनी संभावनाओं के बारे में बात की.
मार्च में पार्टी में लौटे उधमपुर-डोडा से कांग्रेस के उम्मीदवार चौधरी लाल सिंह ने कहा, अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से जम्मू-कश्मीर में केवल समस्याएं बढ़ीं और नई समस्याएं पैदा हुईं.
वर्तमान में सबसे लंबे समय तक सांसद रहीं मेनका, जो इस बार सुल्तानपुर लोकसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ेंगी, ने यह भी कहा कि उन्हें नहीं मालूम कि इस बार कई भाजपा सांसदों को टिकट क्यों नहीं दिए गए.
इस बार हमारे राजनीतिक भूगोल के बड़े हिस्से में चुनावी मुक़ाबले का नतीजा भले साफ नजर आ रहा हो, मगर कुछ हिस्से में यह मुक़ाबला 2019 के मुक़ाबले से भी ज्यादा तीखा है