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Tuesday, 16 April, 2024
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TMC के विरोध प्रदर्शन से BJP की धमकी तक—बंगाल में राजनीतिक रणनीति कमज़ोर हो रही, मतदाता सब देख रहे हैं

टीएमसी की अवास्तविक विरोध की मांगें लोगों को 15 लाख देने का वादा करने की नरेंद्र मोदी की रणनीति की तरह हैं — दोनों ने अपना प्रभाव खो दिया है.

BJP अब मोदी की पार्टी है जैसे कांग्रेस इंदिरा गांधी की थी, लेकिन क्या PM जोखिमों के लिए तैयार हैं?

आप यह तर्क दे सकते हैं कि नरेंद्र मोदी जो कुछ करते हैं या जिसके बारे में बात करते हैं उसका उद्देश्य आरएसएस के वरिष्ठों की स्वीकृति हासिल करना नहीं है. वे ऐसा अपने निर्वाचन क्षेत्र को ध्यान में रखकर कर रहे हैं.

परमाणु हथियारों में ‘MIRV टेक’ का प्रवेश, लेकिन भारत परमाणु हमले की पहल न करने की नीति पर रहे कायम

पहले हमला झेलना और तब जवाब देना ताकत के इस्तेमाल के बारे में फौजी सोच के संस्कार के विपरीत है. अगर यह ‘फौजी सोच’ भारत के राजनीतिक आकाओं के दिमाग पर हावी हुई, तो भारत एक भ्रम के पीछे ही चल पड़ेगा और यह कोई लाभ नहीं दिलाएगा.

न्यूज़ चैनल और अखबारों में केजरीवाल के प्रति व्यवहार में बड़ा अंतर — लेकिन गाज़ा पर दिखाई एकता

लगभग सभी न्यूज़ चैनलों ने अरविंद केजरीवाल को दोषी ठहराने और दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से उनके इस्तीफे की मांग की. वहीं अखबारों ने केवल न्यायमूर्ति स्वर्णकांता शर्मा की टिप्पणियों पर खबरें छापी थीं.

कांग्रेस की तुलना में BJP के लिए आसान है जाति जनगणना करना, कारण है सावरकर का हिंदुत्व

अगर हिंदू धर्म का एक हिस्सा यानी ओबीसी जाति जनगणना की मांग करेगा तो विराट हिंदू एकता के हित में बीजेपी ये ज़हर पी जाएगी. जहर इसलिए क्योंकि उसे मालूम है कि इससे हिंदुओं में जाति की दीवारें और मजबूत हो जा सकती हैं.

केवल रामदेव के पतंजलि की आलोचना क्यों, एलोपैथी भी ‘भ्रामक’ विज्ञापनों से अछूती नहीं

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और अन्य एलोपैथिक डॉक्टरों के पास आयुर्वेद या आयुष कंपनियों पर आरोप लगाने का कोई नैतिक आधार नहीं है.

एक तरीका है पता लगाने का कि कौन सा नेता भारत में बेरोजगारी की समस्या का समाधान करेगा

भारत का जॉब मार्केट आगे नहीं बल्कि पीछे जा रहा है. वोट देने से पहले सही सवाल पूछें.

मुसलमानों को मुख्तार अंसारी जैसे नेताओं से मुंह मोड़ लेना चाहिए. वे कभी भी वास्तविक सुधार नहीं लाएंगे

मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद, मोहम्मद शहाबुद्दीन अपने दम पर सत्ता में नहीं आये; बल्कि, अपने हितों की पूर्ति करने वाले राजनीतिक दलों द्वारा उनका समर्थन किया गया.

विपक्ष भी नहीं सोचता कि वह BJP को हरा पाएगा, सिर्फ सीटें कम करने और अस्तित्व बचाए रखने की जद्दोजहद है

विपक्षी दलों को कड़ी चुनौती का एहसास तो है मगर उनके अंदर बातें यही होती हैं कि नरेंद्र मोदी की सीटें कहां-कहां से कम की जा सकती हैं, यह नहीं कि उन्हें सत्ता से कैसे बेदखल किया जा सकता है

चुनावी बॉण्ड कई सवाल उठाते हैं जिनका बीजेपी के पास कोई उत्तर नहीं है

मोदी को उस हमाम को बंद करने का श्रेय दिया जाता है जहां हर राजनेता और पार्टी नंगी थी. अब उन्हें चुनावी बॉन्ड पर बात दबाने की राजनीतिक आम सहमति को तोड़ना होगा.

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BJP का ‘अब की बार 400 पार’ का नारा कोई नया विचार नहीं है, यह 73 साल पहले की एक राजनीतिक प्रतिज्ञा है

'अब की बार 400 पार' की उत्पत्ति जवाहरलाल नेहरू और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बीच हुई तीखी बहस से हो सकती है, जब श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने नेहरू को चेतावनी दी थी कि वह उनकी 'कुचलने वाली मानसिकता' को कुचल देंगे.

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शिमला, 16 अप्रैल (भाषा) हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति में पुलिस ने मंगलवार को लोगों से चंद्रा नदी से दूर रहने की अपील की...

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