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Tuesday, 2 December, 2025
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भारत की तीसरी स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी जल्द ही नौसेना में शामिल होगी: नौसेना प्रमुख

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नयी दिल्ली, दो दिसंबर (भाषा) नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने मंगलवार को कहा कि भारत अपनी परमाणु त्रयी क्षमता के नौसैनिक घटक को मजबूत कर रहा है तथा तीसरी स्वदेशी परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बी ‘अरिदमन’ को जल्द ही नौसेना में शामिल किया जाएगा। नौसेना प्रमुख ने साथ ही कहा कि उनका बल अपनी समग्र युद्ध क्षमता को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

नौसेना दिवस से पहले एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि प्रोजेक्ट 75 इंडिया (पी75-आई) के तहत छह स्टील्थ पनडुब्बियों के प्रस्तावित अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी होने वाली है।

उन्होंने कहा कि नौसेना को 26 राफेल-एम लड़ाकू विमानों में से पहले चार विमान 2028 में मिलेंगे। उन्होंने कहा कि भारत ने इन विमानों की खरीद के लिए अप्रैल में फ्रांस के साथ 64,000 करोड़ रुपये का सौदा किया था।

नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने कहा कि मई में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान बल के आक्रामक रुख के कारण पाकिस्तानी नौसेना को अपने बंदरगाहों के करीब रहने पर मजबूर होना पड़ा।

एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान के साथ तनाव के बाद पिछले सात-आठ महीनों में पश्चिमी अरब सागर सहित अन्य क्षेत्रों में उच्च परिचालन तत्परता बनाए रखी है।

नौसेना प्रमुख ने बिना विस्तार में जाए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ‘‘अभी भी जारी है।’’

एडमिरल त्रिपाठी ने कहा, ‘‘ऑपरेशन सिंदूर के दौरान आक्रामक रुख और तत्काल कार्रवाई, जिसमें वाहक युद्ध समूह की तैनाती भी शामिल थी, ने पाकिस्तानी नौसेना को अपने बंदरगाहों या मकरान तट के पास रहने के लिए मजबूर कर दिया।’’

नौसेना प्रमुख ने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से पाकिस्तान पर वित्तीय दबाव पड़ा है, क्योंकि संघर्ष के बाद बड़ी संख्या में व्यापारिक जहाजों ने पाकिस्तान की यात्रा करने से परहेज किया है।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान जाने वाले जहाजों की बीमा लागत बढ़ गई है।

परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों पर एक सवाल के जवाब में नौसेना प्रमुख ने कहा कि भारत जल्द ही तीसरी स्वदेशी परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बी को नौसेना में शामिल करने के लिए तैयार है।

उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि आईएनएस अरिदमन परीक्षण के अंतिम चरण में है और जल्द ही इसे नौसेना में शामिल किया जाएगा।

भारत का परमाणु ऊर्जा चालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (एसएसबीएन) कार्यक्रम एक गोपनीय परियोजना है। आईएनएस अरिहंत, एसएसबीएन परियोजना के तहत पहला पोत था, उसके बाद आईएनएस अरिघात आया।

एसएसबीएन कार्यक्रम भारत की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता का एक प्रमुख तत्व है।

हालांकि भारत की हवाई और जमीनी परमाणु क्षमताएं साबित हो चुकी हैं, लेकिन अब वह अपनी पानी के भीतर की परमाणु क्षमता को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

आईएनएस अरिहंत भारत की पहली स्व-निर्मित परमाणु पनडुब्बी है। इसे जुलाई 2009 में लॉन्च किया गया था और 2016 में सेवा में शामिल किया गया।

भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल है जिनके पास परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बियां हैं। जिन देशों के पास ऐसी पनडुब्बियां हैं, वे हैं: अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन।

भारत परमाणु हथियारों के पूर्ण उन्मूलन के उद्देश्य से सार्वभौमिक परमाणु निरस्त्रीकरण की वकालत करने में अग्रणी रहा है।

वर्ष 1998 में, भारत ने पोखरण-दो परमाणु परीक्षण किया, जिस पर कई देशों ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। परीक्षणों के बाद, भारत ने कहा कि उसने ‘विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोधक क्षमता’ के लिए ये परीक्षण किए थे और वह ‘पहले प्रयोग नहीं’ की नीति का पालन करेगा।

वर्ष 2003 में, भारत आधिकारिक तौर पर अपने परमाणु सिद्धांत के साथ सामने आया, जिसमें ‘पहले प्रयोग नहीं’ की नीति का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया था।

भाषा अमित नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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