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Tuesday, 2 December, 2025
होमदेश‘सत्ता परिवर्तन अभियान’ के पुलिस के दावे का उल्लेख आरोपपत्र में नहीं : गुलफिशा ने न्यायालय में कहा

‘सत्ता परिवर्तन अभियान’ के पुलिस के दावे का उल्लेख आरोपपत्र में नहीं : गुलफिशा ने न्यायालय में कहा

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नयी दिल्ली, दो दिसंबर (भाषा) फरवरी 2020 के दंगों के मामले में जमानत का अनुरोध कर रही कार्यकर्ता गुलफिशा फातिमा ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में कहा कि उसे ‘‘अनंतकाल तक हिरासत’’ में नहीं रखा जा सकता है। साथ ही उसने कहा कि समन्वित ‘‘सत्ता परिवर्तन अभियान’’ के दिल्ली पुलिस के दावे का उसके आरोपपत्र में कोई उल्लेख नहीं है।

फातिमा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की पीठ को बताया कि कार्यकर्ता ने लगभग छह साल का वक्त जेल में बिताया है और उन्होंने मुकदमे में देरी को ‘‘आश्चर्यजनक और अभूतपूर्व’’ बताया।

उन्होंने पूछा, ‘‘आपने अपने आरोपपत्र में सत्ता परिवर्तन संबंधी आरोप का उल्लेख कहां किया है’’। उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष का ‘‘असम को भारत से अलग करने’’ की व्यापक साजिश का दावा भी उतना ही निराधार है।

दिल्ली में फरवरी 2020 में हुए दंगों में कार्यकर्ता उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य की जमानत याचिकाओं का कड़ा विरोध करते हुए पुलिस ने कहा था कि यह कोई स्वतः स्फूर्त घटना नहीं थी, बल्कि राष्ट्र की संप्रभुता पर एक ‘‘सुनियोजित और पूर्व नियोजित’’ हमला था।

सिंघवी ने दलील दी कि फातिमा के खिलाफ आरोप अभी तय नहीं हुए हैं और उसे ‘अनंतकाल तक हिरासत’ में नहीं रखा जा सकता, खासकर तब जबकि 939 गवाह पेश किए जा चुके हैं।

सह-आरोपी नताशा नरवाल, देवांगना कालिता और आसिफ इकबाल तन्हा की तरह ही जमानत दिए जाने का अनुरोध करते हुए सिंघवी ने दलील दी कि फातिमा एकमात्र महिला है जो अब भी जेल में है। नरवाल, कालिता और इकबाल को उच्च न्यायालय ने जून 2021 में जमानत दे दी थी।

इस मामले में सुनवाई अभी जारी है।

भाषा गोला वैभव

वैभव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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