पटना/नयी दिल्ली, 14 नवंबर (भाषा) बिहार में सत्तारूढ़ राजग ने शुक्रवार को महागठबंधन को करारी शिकस्त देकर सत्ता बरकरार रखी। इस जीत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अपील को पुष्ट किया तथा कांग्रेस और सहयोगी राजद को करारा झटका दिया।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की शानदार जीत का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसके दो मुख्य घटक दलों – भाजपा और जदयू – ने 101-101 सीट पर लगभग 85 प्रतिशत का ‘स्ट्राइक रेट’ हासिल किया।
इस गठबंधन ने ‘200 पार’ की जीत हासिल की और तीन-चौथाई बहुमत हासिल किया, जिसमें भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी।
प्रधानमंत्री मोदी ने शाम को दिल्ली में भाजपा मुख्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं का गमछा लहराकर अभिवादन स्वीकार करने के बाद उनसे कहा, ‘‘बिहार की जनता ने इस भारी जीत और अपने अटूट आत्मविश्वास के साथ गर्दा उड़ा दिया।’’
भाजपा ने 2020 की 74 से बढ़कर इस बार 89 सीट जीतीं, जबकि नीतीश कुमार के जदयू ने 43 से बढ़कर 85 सीट पर सफलता प्राप्त की।
बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 122 है।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की सीट संख्या 75 से घटकर 25 हो गई। कांग्रेस ने 61 सीट पर चुनाव लड़ा, जिनमें से उसे केवल छह सीट पर जीत मिली, जो उसे पिछली बार मिली 19 सीट से काफी कम हैं।
राजग की प्रचंड जीत की सराहना करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इसने एक नया ‘एमवाई – महिला और युवा’ फॉर्मूला दिया है, जिससे जनता ने ‘जंगलराज के लोगों के सांप्रदायिक एमवाई फॉर्मूले’ को ध्वस्त कर दिया है।
राजद के मुस्लिम-यादव समर्थन आधार का स्पष्ट रूप से उल्लेख करते हुए, मोदी ने कहा कि बिहार में कुछ दलों ने ‘एमवाई फॉर्मूला’ तैयार किया था, लेकिन आज की जीत ने एक नया ‘सकारात्मक एमवाई – महिला और युवा’ फॉर्मूला दिया है।
सत्ता विरोधी लहर पर काबू पाते हुए, मुख्यमंत्री कुमार ने राजग को ‘प्रचंड’ जीत दिलाने के लिए राज्य की जनता का आभार व्यक्त किया।
कुमार ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘राज्य की जनता ने चुनाव में हमें प्रचंड बहुमत देकर हमारी सरकार में अपना विश्वास व्यक्त किया है। इसके लिए मैं राज्य के सभी सम्मानित मतदाताओं को नमन करता हूं और हृदय से आभार और धन्यवाद व्यक्त करता हूं।’’
उन्होंने राज्य में राजग सरकार को निरंतर समर्थन देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी का भी आभार व्यक्त किया।
बिहार चुनाव में ‘एक्स फैक्टर’ कही जा रही प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी (जेएसपी) बुरी तरह हार गई। जेएसपी के उम्मीदवार तीन सीट को छोड़कर बाकी सभी पर मैदान में थे।
पूर्व राजनीतिक रणनीतिकार द्वारा गठित यह पार्टी, बेरोजगारी, पलायन और उद्योगों की कमी जैसे ज्वलंत मुद्दों को ज़ोरदार तरीके से उठाने और ज़ोरदार प्रचार के बावजूद, अपने पक्ष में वोट जुटाने में नाकाम रही।
पटना में भाजपा और जदयू के कार्यालयों में जश्न का माहौल रहा, जो एक-दूसरे के आमने-सामने स्थित हैं। कार्यकर्ताओं ने ढोल-नगाड़े बजाए, पटाखे फोड़े और अपने-अपने नेताओं की शान में नारे लगाए।
भाषा
राजकुमार नेत्रपाल
नेत्रपाल
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