नयी दिल्ली, 12 नवंबर (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने एक मजिस्ट्रेट के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह के खिलाफ अभियोजन के अनुरोध वाली शिकायत खारिज कर दी गयी थी।
अदालत ने कहा कि सिंह के खिलाफ आपराधिक विश्वासघात के अपराध में कार्यवाही शुरू करने के लिए प्राथमिक तौर पर पर्याप्त आधार मौजूद हैं।
अदालत मजिस्ट्रेट अदालत के इस वर्ष मार्च के आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसने सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात के आरोप वाली शिकायत खारिज कर दी थी।
शिकायतकर्ता रोहित सिंह महियारिया के अनुसार, सिंह ने अप्रैल 2014 में उनकी मां से एम.एफ. हुसैन की एक करोड़ रुपये से अधिक कीमत की एक पेंटिंग उधार ली लेकिन उसे वापस नहीं किया। 2017 में, पूर्व मंत्री ने दावा किया कि उन्हें पेंटिंग मिल नहीं रही है।
ग्यारह नवंबर के आदेश में अदालत ने कहा, ‘रिकॉर्ड स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि संबंधित पेंटिंग प्रतिवादी 2 (सिंह) को अप्रैल 2014 में केवल एक सीमित उद्देश्य के लिए सौंपी गई थी, अर्थात, उसे उन्हें अपनी पत्नी को दिखाने और उसकी खरीद पर विचार करने के लिए। यह सौंपना सद्भावनापूर्वक और स्वामित्व के किसी हस्तांतरण के बिना किया गया था।’
उसने कहा कि बार-बार मौखिक और लिखित अनुरोध के बावजूद सिंह द्वारा पेंटिंग वापस न करने, झूठे आश्वासन देने और अंततः उसे वापस करने से इनकार करने के बाद का आचरण, स्पष्ट रूप से सौंपी गई संपत्ति को बेईमानी से रखने और उसके दुरुपयोग को दर्शाता है, जिससे भारतीय दंड संहिता की धारा 406 के तहत आपराधिक विश्वासघात के तत्व पूरे होते हैं।
हालांकि, अदालत ने कहा कि मामले में प्रथम दृष्टया धोखाधड़ी का अपराध नहीं बनता।
अदालत ने शिकायतकर्ता और सिंह को 25 नवंबर को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया।
भाषा अमित अविनाश
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