scorecardresearch
Saturday, 19 July, 2025
होमदेशअर्थजगतरसायन, पेट्रोरसायन क्षेत्र पर अमेरिकी शुल्क के प्रभाव का आकलन कर रहा है भारत

रसायन, पेट्रोरसायन क्षेत्र पर अमेरिकी शुल्क के प्रभाव का आकलन कर रहा है भारत

Text Size:

नयी दिल्ली, 17 अप्रैल (भाषा) रसायन एवं पेट्रोरसायन सचिव निवेदिता शुक्ला वर्मा ने कहा कि सरकार अब भी देश के रसायन और पेट्रोरसायन उद्योग पर अमेरिकी शुल्क के प्रभाव का आकलन कर रही है।

वर्मा ने यहां एक विचार-विमर्श सत्र से इतर ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ हम अब भी आकलन कर रहे हैं। हम उद्योग जगत के लोगों के संपर्क में हैं और यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि इसका हमारे उद्योग पर क्या प्रभाव होगा।’’

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अतिरिक्त 26 प्रतिशत के जवाबी शुल्क लागू करने के फैसले को नौ अप्रैल को 90 दिन के लिए टाल दिया था। हालांकि 10 प्रतिशत का मूल शुल्क अब भी लागू है।

वर्मा ने कहा कि सरकार उद्योग जगत के साथ विचार-विमर्श के बाद उपाय निर्धारित करेगी।

उद्योग के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका को भारत के कुल निर्यात में रसायन की हिस्सेदारी करीब 18 प्रतिशत है। वित्त वर्ष 2023-24 में इसका निर्यात करीब 5.7 अरब अमेरिकी डॉलर रहा था।

‘इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च’ का अनुमान है कि शुल्क वृद्धि से वित्त वर्ष 2025-26 में रासायनिक निर्यात में दो से सात अरब अमेरिकी डॉलर की कमी आ सकती है।

उद्योग विशेषज्ञों ने कहा कि शुल्क वृद्धि से अमेरिका को भारतीय रासायनिक निर्यात की लागत में काफी वृद्धि होगी, जिससे विशेष रसायनों तथा उससे जुड़े पदार्थों की मांग में कमी आने के आसार हैं।

उन्होंने कहा कि चीन के रसायनों पर अमेरिकी शुल्क ने डंपिंग को लेकर भी चिंताएं उत्पन्न की हैं। आर्थिक मंदी तथा अधिशेष क्षमता से जूझ रही चीनी कंपनियां भारत और अन्य वैश्विक बाजारों में सस्ते उत्पादों की बाढ़ ला सकती हैं। इससे वैश्विक रसायन कीमतों में गिरावट आ सकती है।

इससे पहले, विचार-मंथन सत्र में वर्मा ने भारतीय रसायन और पेट्रोरसायन क्षेत्र के दीर्घकालिक विकास को बढ़ावा देने पर जोर दिया। इसमें विशेष तौर पर रसायन उद्योग के लिए बुनियादी ढांचे के विकास पर चर्चा की गई।

भाषा निहारिका मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments