नयी दिल्ली, 30 नवंबर (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने कहा है कि पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना लगाते वक्त उल्लंघनकर्ताओं को अपनी बात रखने का मौका दिया जाना चाहिए और उन्हें यह बताया जाना चाहिए कि उनके पास अपील दायर करने का अधिकार है।
एनजीटी उस मामले की सुनवाई कर रहा था, जिसमें दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने वायु, ध्वनि और जल प्रदूषण फैलाने के लिए दिल्ली के निलोठी गांव में ‘स्टोन क्रशिंग’ की चार अवैध इकाइयों पर आठ लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।
न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद की पीठ ने 22 नवंबर को दिए गए आदेश में कहा, ‘‘इस अधिकरण के समक्ष प्रस्तुत सामग्री से पता चलता है कि डीपीसीसी ने चारों इकाइयों पर दो-दो लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए केवल कारण बताओ नोटिस जारी किया था।’’
उसने कहा कि जुर्माना लगाने के लिए कारण बताओ नोटिस को ‘‘अंतिम आदेश’’ माना जा रहा है।
अधिकरण ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि ऐसे मामलों में जुर्माना लगाने का आदेश उल्लंघनकर्ताओं को जवाब दाखिल करने और सुनवाई का अवसर देने के बाद पारित किया जाना चाहिए और ऐसे आदेश पारित करते समय उल्लंघनकर्ताओं को इस बारे में भी बताना चाहिए था कि उनके पास इसके खिलाफ अपील दायर करने के उपाय उपलब्ध हैं।’’
भाषा खारी सिम्मी
सिम्मी
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.