रांची: आदिवासी समुदाय के सबसे बड़े त्योहारों में शामिल ‘करम’ पर्व शनिवार को झारखंड में पारंपरिक श्रद्धा एवं उल्लास के साथ मनाया गया.
इस पर्व को ‘करमा’ के नाम से भी जाना जाता है. आदिवासी समुदाय के लोग इस अवसर पर ‘करम’ के पेड़ की पूजा करते हैं और प्रकृति से खरीफ के मौसम में अच्छी फसल होने की कामना करते हैं.
आदिवासी समुदाय के लोग इस अवसर पर अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं और उन्हें फूल-पत्तियों से सजाते हैं. शाम में वे करम के पेड़ की पूजा करते हैं. साथ ही, सभी लड़कियां और महिलाएं अपने भाइयों की खुशहाली के लिए प्रार्थना करती हैं.
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस अवसर पर अपनी शुभकामनाएं दीं.
सोरेन ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘प्रकृति के साथ मानव जीवन का संबंध और भाई-बहन के बीच अटूट प्रेम और सम्मान को दर्शाने वाला यह पावन पर्व हमारी समृद्ध संस्कृति और सभ्यता का प्रतीक है. मेरी कामना है कि यह पर्व सभी के जीवन में खुशियां लेकर आए.’’
मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) द्वारा ‘एक्स’ पर किये गए एक पोस्ट के अनुसार, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन रांची महिला महाविद्यालय के साइंस ब्लॉक स्थित आदिवासी छात्रावास परिसर में आयोजित ‘करम पूजा महोत्सव’ में शामिल हुए.
राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘करमा पर्व की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं. करमा पर्व हमें प्रकृति के संरक्षण का संदेश देता है. यह पर्व भाई-बहन के बीच आपसी सौहार्द एवं स्नेह का भी प्रतीक है. इस शुभ अवसर पर मैं सभी के लिए सुख और शांति की कामना करता हूं.’’
आदिवासी जन परिषद के अध्यक्ष प्रेम साही मुंडा ने कहा कि यह त्योहार कई कारणों से मनाया जाता है, जैसे कि लोग बुवाई का मौसम समाप्त होने के बाद अच्छी फसल के लिए करम के पेड़ से प्रार्थना करते हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘यह त्योहार भाई-बहन के बीच के जुड़ाव को भी दर्शाता है. इस पर्व को करम के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यह लोगों को जीवन में अच्छे कर्म करने के लिए प्रेरित करता है.’’