नयी दिल्ली, 23 अगस्त (भाषा) केंद्र ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि ‘‘विचाराधीन कैदी को हिरासत में रखने की अधिकतम अवधि’’ से संबंधित भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 की धारा 479 देशभर के विचाराधीन कैदियों पर पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू होगी।
केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ को बताया कि बीएनएसएस की धारा 479, जिसने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 436ए का स्थान लिया है, सभी विचाराधीन कैदियों पर लागू होगी, भले ही अपराध एक जुलाई, 2024 से पहले दर्ज किया गया हो।
बीएनएसएस, भारतीय न्याय संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम एक जुलाई से प्रभावी हुए थे, जिन्होंने क्रमशः ब्रिटिश कालीन दंड प्रक्रिया संहिता, भारतीय दंड संहिता और ‘इंडियन एविडेंस एक्ट’ का स्थान लिया।
शीर्ष अदालत ने इस अभिवेदन पर गौर किया और देशभर के जेल अधीक्षकों को निर्देश दिया कि वे प्रावधान की उपधारा में उल्लिखित अवधि का एक तिहाई पूरा होने पर संबंधित अदालतों के माध्यम से विचाराधीन कैदियों के आवेदनों पर कार्रवाई करें।
न्यायालय ने कहा कि कदम यथाशीघ्र, संभवत: तीन महीने के भीतर उठाए जाने चाहिए।
मामले में न्यायमित्र वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल ने इससे पहले पीठ से कहा था कि विचाराधीन कैदियों को हिरासत में रखने की अधिकतम अवधि से संबंधित धारा 479 को जल्द से जल्द लागू किया जाना चाहिए और इससे जेलों में भीड़भाड़ की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी।
शीर्ष अदालत अक्टूबर 2021 से जेलों में भीड़भाड़ के मुद्दे पर सक्रिय रूप से निगरानी कर रही है, जब उसने इस समस्या का स्वतः संज्ञान लिया था।
भाषा अमित नेत्रपाल
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