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Friday, 18 July, 2025
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मैं केवल लिख सकता हूं, मैं कोई सामाजिक कार्यकर्ता नहीं हूं : लेखकर मुरुगन

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(मनोज राममोहन)

जयपुर, 14 फरवरी (भाषा) कुछ साल पहले अपने भीतर के लेखक की मौत की घोषणा करने वाले मशहूर तमिल लेखक पेरुमल मुरुगन इस बात से ‘हैरान’ हैं कि ग्रामीण जीवन को आधार बनाकर लिखी गई उनकी रचनाओं के अंग्रेजी अनुवाद को ज्यादा से ज्यादा लोगों द्वारा पसंद किया जा रहा है।

57 वर्षीय तमिल लेखक की पांच और कृतियां आने वाले महीनों में अंग्रेजी में अनुवाद की जाएंगी, जिसमें गल्प, गैर-गल्प और लघु कथाएं शामिल हैं।

पेरुमल मुरुगन के उपन्यास ‘फायर बर्ड’ ने पिछले साल साहित्य के लिए जेसीबी पुरस्कार जीता था।

मुरुगन ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ साक्षात्कार में कहा, ‘‘अनुवाद मेरे लिए नया नहीं है… पाठक बढ़ गए हैं और वे इसे पसंद कर रहे हैं। यह मेरे लिए एक बड़ा आश्चर्य है। मैं तमिलनाडु के गांवों के जीवन के बारे में लिखता हूं और एक आम पाठक इसे पसंद कर रहा है, यह एक बड़ा आश्चर्य है।’’

हाल में संपन्न जयपुर साहित्य महोत्सव से इतर मुरुगन ने धैर्यपूर्वक सभी सवालों के जवाब दिए, लेकिन वर्तमान राजनीति से संबंधित प्रश्नों का उत्तर देने से विनम्रता के साथ इनकार कर दिया।

सौम्य स्वभाव वाले मुरुगन ने कहा, ‘‘राजनीति के बारे में बात न करें।’’

तमिल में विभिन्न शैलियों में लिखीं 50 से अधिक कृतियों के लेखक अपनी प्राथमिकताओं के बारे में स्पष्ट हैं, जो लेखन और समाज से जुड़ना है। उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘मैं केवल लिख सकता हूं… मैं कोई सामाजिक कार्यकर्ता नहीं हूं।’’

तमिल में उन्होंने लगभग 15 गैर-गल्प किताबें लिखी हैं। तमिल से अंग्रेजी में अनुवादित उनका पहला गैर-गल्प ‘‘अम्मा’’ कुछ साल पहले प्रकाशित हुआ था, जो उनकी मां के बारे में है।

उन्होंने बताया कि पेंगुइन अंग्रेजी में उनकी पांच किताबें प्रकाशित करने जा रहा है, जिनमें तीन गैर-गल्प, एक लघु कथा संग्रह और एक उपन्यास शामिल है। इनमें से एक उनके युवा दिनों के दौरान सिनेमा थिएटर में काम करने के उनके अनुभव के बारे में है। उस समय उनके पिता की थिएटर में दुकान थी।

दो दशकों से अधिक समय तक तमिल प्रोफेसर के रूप में काम करने के बाद, मुरुगन अब तमिलनाडु में अपने मूल स्थान नम्माकल में लेखन और कृषि कार्य में समय बिता रहे हैं।

एक सवाल के जवाब में मुरुगन ने कहा, ‘‘एक लेखक के रूप में, मैं क्या संदेश दे सकता हूं? मैं केवल लिख सकता हूं और समाज के साथ मेरा रिश्ता मेरे लेखन के माध्यम से है। मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता नहीं हूं और मैं किसी अन्य क्षेत्र में जाकर काम नहीं कर सकता। मूल रूप से, मैं एक लेखक हूं और जब भी मैं समाज को कुछ बताना या साझा करना चाहता हूं तो मैं अपने लेखन के माध्यम से ऐसा करूंगा।’’

मौजूदा परिस्थितियों में लेखन पर एक सवाल के जवाब में मुरुगन ने कहा कि गल्प अधिक सुरक्षित लगता है क्योंकि यह अधिक स्वतंत्रता देता है।

मुस्कुराहट के साथ उन्होंने अपनी एक रचना से संबंधित भारी विवाद का जिक्र करते हुए यह भी कहा कि गल्प ने बहुत सारी समस्याएं पैदा कीं, जिसके बाद उन्होंने यहां तक ​​घोषणा की थी कि उनके अंदर का लेखक ‘‘मर’’ चुका है।

लेखक ने साक्षात्कार में कहा, ‘‘एक लेखक के रूप में, मैं पाठकों से और अधिक पढ़ने के लिए कहूंगा। साहित्य हमें अपने जीवन को समझने में बड़ी मदद करता है।’’

मुरुगन का उपन्यास ‘पायरे’ अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार-2023 की दौड़ में शामिल रहा था।

मुरुगन के बारे में बताते हुए, बुकर पुरस्कार वेबसाइट कहती है, ‘‘विरोध, मुकदमेबाजी और जाति-आधारित समूहों द्वारा उनकी पुस्तक ‘माधुरोबागान’ को जलाए जाने के बाद 2015 में मुरुगन ने बतौर लेखक खुद को ‘मृत’ घोषित कर दिया था और लेखन से संन्यास की घोषणा कर दी थी।’’

किताब पर केंद्रित एक मामले में 2016 में अदालत ने अपने फैसले में कहा था,‘ लेखक को वह काम करने के लिए पुनर्जीवित होने दें जिसमें वह सर्वश्रेष्ठ हैं।’

भाषा

शफीक नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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