नयी दिल्ली, 19 दिसंबर (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को छत्तीसगढ़ में एक कोयला ब्लॉक के आवंटन में कथित अनियमितताओं से जुड़े मामले में अमेरिकी कंपनी से जुड़ी इकाई समेत दो आरोपियों को बरी कर दिया और कहा कि अभियोजन पक्ष मामले को उचित संदेह से परे साबित करने में विफल रहा।
विशेष न्यायाधीश अरुण भारद्वाज ने राज्य में सयांग कोयला ब्लॉक के छह नवंबर 2007 को किए गए आवंटन से जुड़े मामले में एईएस कॉर्प डेलावेयर (यूनाइटेड स्टेट्स) की सहायक कंपनी एईएस छत्तीसगढ़ एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड और सहायक कंपनी के निदेशक संजय अग्रवाल को राहत दी।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने यह दावा करते हुए प्राथमिकी दर्ज की थी कि एईएस छत्तीसगढ़ ने इस तथ्य को गलत तरीके से प्रस्तुत किया था कि यह एईएस कॉर्प यूएसए की सहायक कंपनी थी, हालांकि आवेदन दाखिल करने के दिन, यह अमेरिकी कंपनी की सहायक कंपनी नहीं थी।
हालांकि, अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा की दलीलों को स्वीकार कर लिया, जिन्होंने एईएस कॉर्प यूएसए के विभिन्न पत्राचार प्रस्तुत किए, जिसमें दर्शाया गया कि उसके पास आवेदन के समय एईएस छत्तीसगढ़ एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड का नियंत्रण था।
न्यायाधीश ने 21 सितंबर, 2022 को अग्रवाल की जमानत रद्द कर दी थी और कहा था कि उन्होंने ‘प्रथम दृष्टया’ एक गवाह को प्रभावित करने की कोशिश करके ‘जमानत की मौलिक शर्त’ का उल्लंघन किया। अग्रवाल को हालांकि बाद में जमानत मिल गई थी।
उन्होंने कहा कि दोनों आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 120-बी (आपराधिक साजिश) का मामला नहीं बनता।
अदालत ने मई 2017 में एईएस छत्तीसगढ़ एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड और अग्रवाल के खिलाफ भादंसं की धारा 120-बी और 420 के तहत अपराध का संज्ञान लिया था।
अंतिम दलीलों के दौरान, पाहवा ने दावा किया कि वर्तमान मामले में ‘कोई शिकायतकर्ता या पीड़ित’ नहीं है क्योंकि कोयला मंत्रालय ने आरोपियों द्वारा धोखा दिए जाने के बारे में कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई थी, और सीबीआई ने खुद मामला दर्ज किया था।
भाषा नेत्रपाल रंजन
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