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Monday, 30 September, 2024
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वैश्विक बाजारों में तेजी से तेल-तिलहनों कीमतों में सुधार

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नयी दिल्ली, 16 मार्च (भाषा) वैश्विक बाजारों में तेजी के रुख के बीच दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बुधवार को सरसों, सोयाबीन, बिनौला, सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों में सुधार दर्ज हुआ और दाम लाभ दर्शाते बंद हुए। जबकि सरसों, सोयाबीन (तिलहन) सहित मूंगफली तेल-तिलहन के भाव पूर्ववत रहे।

बाजार सूत्रों ने बताया कि मलेशिया एक्सचेंज में लगभग चार प्रतिशत की तेजी है, जबकि शिकॉगो एक्सचेंज लगभग एक प्रतिशत मजबूत है। विदेशी बाजारों में तेजी के रुख से स्थानीय तेल में सुधार का रुख देखने को मिला। होली की त्योहारी मांग के कारण भी तेल कीमतों में सुधार है।

सूत्रों ने कहा कि कल रात सरकार ने आयात शुल्क मूल्य बढ़ाया है। कच्चे पामतेल (सीपीओ) पर आयात शुल्क मूल्य में 30 रुपये क्विंटल की वृद्धि की गई है। जबकि पामोलीन पर 80 रुपये क्विंटल और सोयाबीन डीगम पर 26 रुपये क्विंटल की वृद्धि की गई है।

उन्होंने कहा कि पामोलीन का आयात करने में लगभग पांच प्रतिशत का नुकसान है क्योंकि सोयाबीन का दाम नीचे है। इंडोनेशिया और मलेशिया ने तेल के दाम ऊंचे कर रखे हैं। पहले सोयाबीन से सीपीओ का भाव 150-200 डॉलर प्रति टन नीचे रहता था। अभी दोनों तेलों में कीमतों का अंतर काफी कम रह गया है।

सूत्रों ने कहा कि आयातित तेल के मुकाबले देशी तेल सस्ता है और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण पामतेल का भाव बढ़ा दिया गया है। खाद्य तेलों के आयात पर भारी निर्भरता को दूर करना भारत के लिए अहम हो गया है। सरकार को किसानों को प्रोत्साहन और लाभकारी खरीद का भरोसा देकर तिलहन उत्पादन बढ़ाने पर जोर देना होगा। किसानों को तिलहन उत्पादन से लाभ का भरोसा मिलने पर वे खुद-ब-खुद तिलहन उत्पादन बढ़ा सकते हैं।

सूत्रों ने कहा कि देश में पहले जिन स्थानों पर (दक्षिण भारत- सूरजमुखी और उ.प्र. एवं आंध्र- मूंगफली) तिलहन की पैदावार होती थी और जहां यह बंद हो गया है, उसे फिर से पुनर्जीवित किया जाना चाहिये। वर्ष 1990 में देश को सूरजमुखी का आयात करने की आवश्यकता नहीं पड़ती थी लेकिन खेती कम होने से अब देश को प्रतिमाह लगभग 1.75-2 लाख टन सूरजमुखी तेल का आयात करना पड़ता है।

सूत्रों ने कहा कि देश अपनी जरूरतों का लगभग 60 प्रतिशत खाद्य तेल आयात करता है और इसके लिए भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा खर्च करनी होती है। इसके अलावा देश को विदेशी तेल कंपनियों की मनमानी कीमत की दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है। इस कुचक्र से निकलने का सरल और सुगम रास्ता तिलहन उत्पादन बढ़ाना ही हो सकता है। किसानों की आय बढ़ने से उनकी क्रय शक्ति भी बढ़ेगी।

बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)

सरसों तिलहन – 7,450-7,500 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये।

मूंगफली – 6,750 – 6,845 रुपये।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,750 रुपये।

मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,610 – 2,800 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 15,750 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,420-2,520 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,470-2,570 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 17,000-18,500 रुपये।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 16,800 रुपये।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 16,300 रुपये।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 15,350।

सीपीओ एक्स-कांडला- 15,000 रुपये।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 15,050 रुपये।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 16,250 रुपये।

पामोलिन एक्स- कांडला- 15,000 रुपये (बिना जीएसटी के)।

सोयाबीन दाना – 7,450-7,500 रुपये।

सोयाबीन लूज 7,150-7,250 रुपये।

मक्का खल (सरिस्का) 4,000 रुपये।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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