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Tuesday, 3 December, 2024
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लोकसभा चुनाव के बीच प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न देने के प्रयास में मोदी सरकार

प्रणब मुखर्जी पश्चिम बंगाल से आते हैं, जहां इस बार सातों चरणों में चुनाव होने हैं. ऐसे में भाजपा वहां जीत के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती.

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नई दिल्ली: मोदी सरकार भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को लोकसभा चुनाव के मध्य में कभी भी भारत रत्न प्रदान कर सकती है. भारत के सर्वोच्च सम्मान प्रदान करने की घोषणा के दो महीने के भीतर ही प्रणब मुखर्जी को सम्मानित किए जाने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है. सरकार के दो वरिष्ठ अधिकारियों ने दिप्रिंट को यह जानकारी दी कि मुखर्जी का अलंकरण समारोह पश्चिम बंगाल में होने वाले लोकसभा चुनाव के मध्य में कराने की उम्मीद है. प्रणब मुखर्जी पश्चिम बंगाल से आते हैं, जहां इस बार सातों चरणों में चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में भाजपा वहां जीत के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती.

लोकसभा चुनाव शुरू होने में दो हफ्ते से भी कम समय बचा है. इसी दरम्यान सरकार ने मुखर्जी को पत्र लिख कर अलंकरण समारोह में उनकी उपलब्धता के बारे में पूछा है. बता दें, प्रणब मुखर्जी को इसी साल 25 जनवरी को भारत रत्न देने की घोषणा हुई थी. मुखर्जी के साथ ही भूपेन हजारिका (मरणोपरांत) और समाजिक कार्यकर्ता नानाजी देशमुख (मरणोपरांत) को भारत रत्न देने की घोषणा हुई थी. लेकिन इस सम्मान की घोषणा को बीते दो महीने हो गए हैं और मोदी सरकार अभी भी पुरस्कार देने के लिए अलंकरण समारोह की तैयारी में है.

गृह मंत्रालय जो कि सम्मान देने की तिथियों पर अंतिम निर्णय लेता है, वो 11 मार्च और 16 मार्च को कुल 112 पद्मा पुरस्कार विजेताओं को सम्मानित कर चुका है. एक सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘चूंकि भारत रत्न देश का सर्वोच्च सम्मान है इसलिए इसे राष्ट्रपति द्वारा एक अलग समारोह में प्रदान किया जाता है.

गृह मंत्रालय ने मुखर्जी की उपलब्धता के बारे में बताया

जहां एक ओर अलंकरण समारोह में देरी होने की बात सामने आ रही है, वहीं सरकार के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया है कि गृह मंत्रालय ने पूर्व राष्ट्रपति को एक पत्र लिखकर उनसे उनकी उपलब्धता के बारे में पूछा है.

सूत्रों के मुताबिक गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव एसके. शाही ने 19 मार्च को मुखर्जी को एक पत्र लिखकर प्रमाण पत्र पर अलंकृत करने के लिए उनसे उनका डिटेल और एक संक्षेप बॉयोग्राफिक स्केच मांगा है.

एक दूसरे सूत्र ने बताया, ‘भारत रत्न सम्मान चिन्ह पर अलंकृत करने के लिए यह जानकारी जरूरी होती है. जो कि अलंकार समारोह में जारी की जाएगी.’ गृह मंत्रालय ने उन लोगों की भी जानकारी मांगी है जो इस समारोह का हिस्सा बनेंगे. राष्ट्रपति भवन के प्रवक्ता ने कहा, ‘सरकार तारीख के लिए प्रस्ताव शुरू करती है. राष्ट्रपति भवन की भूमिका उसके बाद ही आती है.’

भारत निर्वाचन आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि भारत रत्न या कोई अन्य नागरिक पुरस्कार, जो पहले घोषित किया जा चुका है, आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) के दायरे में नहीं आता है.

उन्होंने आगे बताया, ‘एमसीसी ने कहा कि जब कोई आचार संहिता लागू हो तो कोई भी प्रशासनिक कार्य शुरू नहीं किया जा सकता है. भारत रत्न देश का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है और 25 जनवरी को घोषित किया गया था. इसके अलावा, यह एक सरकारी अधिकारी द्वारा नहीं बल्कि भारत के राष्ट्रपति द्वारा दिया जाता है. साथ ही, पुरस्कारों की घोषणा पहले ही की जा चुकी है.’

एक कांग्रेसी जब पहुंचा आरएसएस के हेडक्वार्टर

2004-2009 के यूपीए सरकार के कार्यकाल के अलावा पहले की कांग्रेस सरकार में भी कई मंत्रालयों की जिम्मेदारियां संभालने वाले प्रणब मुखर्जी तब भी राष्ट्रपति पद पर विराजमान थे जब भाजपा शासित राजग सरकार ने 2014 में देश का कार्यभार संभाला. अपने राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान उनके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अच्छे संबंध बने रहे.

मुखर्जी पिछले साल आरएसएस के एक कार्यक्रम में उनके मुख्यालय नागपुर भी गए थे, जो उनके कांग्रेसी दोस्तों को नागवार गुजरी थी. प्रणब मुखर्जी ने तब आरएसएस मुख्यालय के विजिटर बुक में आरएसएस के संस्थापक केबी हेडगेवार को ‘भारत मां का सच्चा सपूत बताया था.’ जिसके लिए उन्हें कांग्रेसियों से कड़ी आलोचना झेलनी पड़ी थी.

(इस खबर को अंग्रजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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