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Thursday, 25 April, 2024
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यहां 50 रुपये में मिल रहे हैं मोदी, राहुल और प्रियंका

बाजार की दुकानों में 50 रुपए से लेकर 300 रुपये की टी-शर्ट यहां बड़ी आसानी से मिल जाएंगी. पार्टी चाहे भाजपा हो या कांग्रेस, रेट सभी के बराबर हैं.

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नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. राजनीतिक धुर-विरोधी भले ही आपस में कितनी भी नोक-झोंक दिखाएं, लेकिन दिल्ली के इस मार्केट में आते ही सब एक ही तराजू के दो पलड़े बनते जा रहे हैं. क्या राहुल, क्या मोदी सब का रेट 50 रुपया है. यहां के लगभग एक दर्जन दुकानों में तमाम दलों के पोस्टर, कैप और टी-शर्ट बिना किसी काट-छांट के एक साथ रखे गए हैं. जैसे ही पार्टियां अपने प्रचार के तरीके में कुछ नया प्रयोग कर रही हैं, वैसे ही यहां उन पर नजर गड़ाए बैठे दुकानदार, जनता को आकर्षित करने के लिए अपने आप को ‘अपडेट’ करते जा रहे हैं.

इसी कड़ी में आज हम आपको ले चलते हैं दिल्ली के सदर बाज़ार, जो कि चुनावी रंगों से सराबोर है. नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के पहाड़ी गेट से कुछ ही दूर स्थित ये बाज़ार, वैसे तो रोजमर्रा की चीज़ों को थोक के भाव के लिए जाना जाता है, लेकिन इस समय यहां राजनीतिक पार्टियों के पोस्टर और बैनर धड़ल्ले से बिक रहे हैं.

इस बार क्या है नया

दिल्ली के व्यस्ततम इलाकों में से एक इस बाजार में झंडा, बैनर, पोस्टर और बिल्ले से सजी इन दुकानों में 50 रुपए से लेकर तीन सौ रुपए की टी-शर्ट यहां बड़ी आसानी से मिल जाएंगी. पार्टी चाहे भाजपा हो या कांग्रेस या फिर ‘आप’, रेट सबका बराबर है.

पिछले 27 सालों से यहां दुकान चला रहे विक्रम सिंह बताते हैं, ‘इस बार चूंकि लोकसभा का चुनाव है इसलिए कुछ खास किस्म की गमछे बिक रहे हैं. वो थोड़े ज्यादा फैंसी हैं. पहले वही गमछे 2-3 रुपये के मिलते थे, लेकिन इस बार इनका रेट 16 रुपये से शुरू है. इसके अलावा कुछ दिल्ली के बाहर से भी आइटम मंगाए गए हैं.’

इस मार्केट में होली के त्यौहार के लिए अबीर और गुलाल के साथ बिक रहे पोस्टरों और बैनरों के बीच ब्रेसलेट, 5 रुपये से 25 रुपये तक मायावती की रिंग्स, प्रियंका गांधी का प्रसिद्ध स्कार्फ भी खूब पसंद किए जा रहे हैं. इनके अलावा नमो ऐप पर मिलने वाली चीजें भी इन दुकानों पर उपलब्ध हैं. जहां ‘नमो अगेन’ वाली कप पहले से ही मार्केट में थी, वहीं अब इस ब्रांड की टी-शर्ट, नोटबुक, पेन और कैप भी आ गए हैं.

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‘रोहित भाई झंडेवाले’ के दुकानदार बता रहे कि इस मार्केट में बेचे जा रहे समान आमतौर पर ‘नमो ऐप’ पर मिलने वाले समानों की तुलना में थोड़े सस्ते हैं. ‘नमो मग’ जहां 120-150 रुपये में मिल रहा, वहीं ‘नमो नोटबुक’ 15-20 रुपये में खरीदे जा सकते हैं.

दिल्ली का सदर बाजार | शुभम सिंह

किस पार्टी का क्रेज सबसे ज्यादा

सदर बाजार में भाजपा और कांग्रेस से इतर हरियाणा के राष्ट्रीय लोक दाल (आरएलडी), यूपी की समाजवादी पार्टी व बहुजन समाजवादी पार्टी और केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की भी प्रचार सामग्री मौजूद है. पिछले तीन लोकसभा चुनावों के प्रत्यक्षदर्शी रहे और 15 साल से दुकान लगा रहे संजय राठौर कहते हैं, ‘वैसे तो लगभग सभी पार्टियों के लोग यहां आते हैं, लेकिन बीजेपी टॉप पर है. भाजपा की चुनावी सभाएं बराबर होती हैं, इसलिए भी लोग यहां बैनर पोस्टर लेने आते रहते हैं. एक और कारण यह भी है कि भाजपा समय समय पर कुछ क्रिएटिविटी करती रहती है, जैसे नए-नए स्लोगन निकालना, अलग अलग तरह के कार्यक्रमों को आयोजित करना.’

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दिल्ली के सदर बाजार में लगे विभिन्न पार्टियों के पोस्टर | शुभम सिंह

वहीं दुकान में करीब 100 बैनर का ऑर्डर देने आए एक कांग्रेसी समर्थक चुनावी सरगर्मियों के बारे में बताते हैं कि पिछले एक साल से हलचल थोड़ी कम थी. लेकिन पिछले दिनों शीला दीक्षित द्वारा दिल्ली की कमान संभालने और प्रियंका गांधी को मिली नई जिम्मेदारी के बाद कार्यकर्ताओं के अंदर एक नया जोश आया है.

क्या दिल्ली में है केजरीवाल का जादू 

पार्टियों के झंडे और पोस्टरों से सजी कुल 10 से 12 दुकानें हैं, लेकिन इनमें भाजपा और कांग्रेस का ही बोलबाला ज्यादा दिखाई दे रहा है. संजय बताते हैं, वैसे तो केजरीवाल की टोपी खूब बिकती है. लेकिन बीजेपी और कांग्रेस की तुलना में आप के समर्थक कम ही दिखते हैं.

क्या पुलवामा हमले से कोई असर पड़ा है

बीते 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले में हमारे 40 जवान मारे गए थे. जिसके बाद देशवासियों के मन में आक्रोश था. लोग तरह तरह से अपना विरोध प्रदर्शन जता रहे थे, इन्हीं में से कुछ लोग तिरंगा लेकर सड़कों पर उतर गए थे. झंडे की दुकान लगाए विकास बताते हैं कि पुलवामा हमले के बाद अचानक से तिरंगे की बिक्री बढ़ गई थी. कुछ दिनों के लिए लोगों में उत्साह था. लेकिन फिर वो डाउन हो गया. उसमें भी भाजपा समर्थक ही ज्यादा दिखाई दे रहे थे.

चुनाव बाद क्या करेंगे

चुनाव के समय गुलजार रहने वाली सदर बाज़ार में लगी ये दुकानें बारहों महीने चलती हैं. 15 अगस्त और 26 जनवरी के अलावा यहां चुनावी रैलियों के समय लोग आते हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव के एक महीने पहले से दुकान पर भीड़ बढ़ जाती है. संजय बताते हैं, हमारा धंधा कभी मंदा नहीं पड़ता. इस देश में समय समय पर कुछ न कुछ होता रहता है, हमारी दुकान चलती रहती है.

जिस तरह से एक व्यापारी की नजर हमेशा ग्राहकों की नब्ज पकड़ने की रहती है, वैसा ही कुछ हाल सदर बाजार के इन दुकान वालों का है. जैसे ही विभिन्न दलों के नेता तरह-तरह के वादे और प्रयोग कर रहे हैं, उसी कड़ी में दुकानदार भी अपने आप को तैयार रख रहे हैं. अब चुनाव की घोषणा होने के बाद सदर बाजार के दुकान वालों को इंतजार है प्रत्याशियों के नामों का. जिसके बाद भीड़ बढ़ने की उम्मीद है.

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