scorecardresearch
Friday, 19 April, 2024
होमडिफेंसपुलवामा हमले के बाद भी जैश को आतंकी संगठन घोषित करने में चीन की आनाकानी

पुलवामा हमले के बाद भी जैश को आतंकी संगठन घोषित करने में चीन की आनाकानी

भारत के विदेश मंत्रालय ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सभी सदस्यों से अपील की है कि मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी करार किया जाए.

Text Size:

नई दिल्ली: पुलवामा हमले पर चीन की प्रतिक्रिया में भावभीनी श्रद्धांजलि और आत्मघाती हमले पर स्तब्धता जताई है लेकिन इसके साथ चीन ने न तो पाकिस्तानी आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद को प्रतिबंधित करने की हिमायत की और न ही संयुक्त राष्ट्र में अपना नज़रिया बदलने की ही बात की. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा, ‘ चीन ने आत्मघाती हमले को हमने नोट किया है. हमें इस हमले से गहरा आघात लगा है. हम घायलों और मृतकों के परिवारजनों से अपनी गहरी संवेदना और सद्भावना व्यक्त करते हैं.’

‘हम हर तरह के आतंकवाद की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं. हमें आशा है कि सभी देश आतंकवाद से निपटने में सहयोग करें और साथ मिलकर क्षेत्रीय शांति और स्थिरता बढ़ाए.’ पर जैश पर प्रतिबंध के सवाल पर चीन के रुख में कोई बदलाव नहीं आया.


यह भी पढ़ें: मसूद अज़हर का जैश-ए-मोहम्मद कश्मीर में एक शक्तिशाली आतंकवादी संगठन है


जहां तक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आतंकी सरगना मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी की सूचि में शामिल करने का सवाल था, चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा कि जहां तक सूचि में रखने का सवाल है, मैं आपको बता सकती हूं कि 1267 सुरक्षा पर कमीटी में स्पष्ट दिशानिर्देश है कि कैसे और किस प्रक्रिया से आतंकवादी संगठनों को नामित किया जाता है. ‘जैश ए मोहम्मद सुरक्षा परिषद आतंकवाद प्रतिबंध सूची में शामिल है. चीन प्रासंगिक प्रतिबंधों को ज़िम्मेदारी और सकारात्मक रुप से लेगा.’

यानी चीन अपने रुख पर जम्मू-कश्मीर में सीआरपीएफ काफिले पर हमले के बाद भी कायम है.

भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सभी सदस्यों से अपील की है कि अज़हर को वैश्विक आतंकवादी करार किया जाए. इस बीच पाकिस्तान के भारत में राजदूत सोहेल महमूद को विदेश सचिव विजय गोखले ने पुलवामा हमले के मद्देनज़र तलब किया और कहा कि पाकिस्तान को अपनी भूमि से किसी भी आतंकी संगठन को पनपने से रोकना चाहिए. वहीं दूसरी तरफ भारत ने भी पाकिस्तान में अपने उच्चायुक्त अजय बिसारिया को विचार-विमर्श के लिए भारत बुलाया है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

चीन के रुख पर और भारत सरकार की उस से दोस्ती पर तंज़ करते हुए कांग्रेस नेता शशि थरूर ने ट्वीट कर कहा -कि जैश ने पुलवामा हमले की ज़िम्मेदारी ली और ये ऐसा संगठन है जिसे चीन का संरक्षण प्राप्त है और संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध समिति में चीन उसे बचाता रहता है. थरूर सवाल करते है कि क्या हुआ उस ‘ वूहान जस्बे का ‘ जिसकी बीजिंग और मोदी बात करते थे. क्या उस जज़्बे के तहत दोनो आतंक पर जैश पर प्रतिबंध लगा कर नियंत्रण कर सकते हैं?

डोकलाम में उपजे तनाव के बाद मोदी और शी जिनपिंग ने चीन के शहर वूहान में अनौपचारिक बातचीत की थी. अप्रैल 2018 में हुई इस शिखर बैठक के बाद माना जा रहा था कि दोनों देश एक दूसरे को समझेंगे और सहयोग बढ़ेगा. पर चीन का अपने हर मौसम के देश पाकिस्तान से रिश्तों और आतंकवाद दोनो पर नज़रिए में कोई बदलाव नहीं आया है.

देखा जाए तो पुलवामा में जैश के हमले के लिए जितना ज़िम्मेदार पाकिस्तान है शायद उससे ज्यादा चीन, जो संयुक्त राष्ट्र में जैश और अज़हर को वैश्विक आतंकवादी धोषित करने की राह पर अड़ा हुआ है. विश्लेषकों की माने तो पाकिस्तान को चीन चला रहा है और चीन वहां पनप रहे आतंकवाद को नज़रअंदाज़ कर रहा है. वहीं, स्वयं अपने देश में चीन उग्रवाद से निपटने के लिए कड़े कदम उठा रहा है. भारत में इस हमले के बाद नाराज़गी पाकिस्तान तक सीमित नहीं, लोग ये भी पूछ रहे हैं कि चीन कब सुधरेगा और आतंकवाद को रोकने का काम करेगा.

share & View comments