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Saturday, 20 April, 2024
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एक तनख्वाह के पीछे आज़ादी को गिरवी नहीं रख सकता: ट्वीट से जांच में फंसे आईएएस अधिकारी के बयान

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ट्विटर के नामी टिप्पणीकार, शाह फैसल ने एक नई बहस को जन्म दिया है, जोकि सरकारी नौकरी के सेवा नियमों से जुड़ी है।

मुंबई/नई दिल्ली: आईएएस अफसर शाह फैसल (35 वर्ष), सामाजिक विषयों से जुड़े सरोकारों पर ट्विटर पोस्ट करते रहे हैं।  हाल ही में वे दक्षिण एशिया में बढ़ते बलात्कार के मामलों पर ट्विट करने की वजह से विभागीय जांच से गुज़र रहे हें।

फैसल फिलहाल यूएस में फुलब्राईट स्कॉलरशिप से जुड़े हैं।  दिप्रिंट को इस जाँच के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि “इस बहस ने सरकारी नौकरी की कर्मचारियों की सेवा से जुड़े आदिम जमाने की शर्तों और नियमों पर चर्चा करने का मौका दिया है”।

केंद्र सरकार की फैसल, जोकि पहले ऐसे कश्मीरी हैं जिन्होंने सिविल सेवाओं में टॉप किया था, के खिलाफ जांच उनके सेवा आचरण की शर्तों का उल्लंघन करने पर आधारित है।

नियमों के अनुसार, कोई भी सेवारत कर्मचारी केंद्र व राज्य सरकार की किसी भी नीति और कार्यवाही की आलोचना, न ही किसी रेडियो प्रसारण में, जन संचार के किसी अन्य माध्यम में; न ही प्रेस में या किसी सार्वजनिक सभा आदि में कर सकता है।

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वर्ष 2016 में, केंद्र सरकार ने इस बैन को सोशल मीडिया पर भी इसे लागू करने की कोशिश की थी

वे कहते हैं, “ये नियम ज़माने के साथ मेल नहीं खाते खासतौर पर ऐसे समय में जहाँ बोलने की आज़ादी हमारी ज़िंदगी का अभिन्न हिस्सा बन गयी है”।

“सरकारी नीति कोई ऐसा खुलासा नहीं है जिन पर कोई सवाल नहीं पूछे जा सकते। सरकारी कर्मचारियों से उनका अभिव्यक्ति का क्षेत्र नहीं छीना जा सकता क्योंकि कोई पुराना नियम कहता है कि आपको और आपकी टिप्पणियों को अज्ञात रहना चाहिए”।

“अपनी आलोचना को लेकर अभी और अधिक खुलने की जरूरत है। सोच में भी बदलाव की जरूरत है।“

विभागीय जाँच के लिए नोटिस मिलने के बाद फैसल ने इसे ट्विटर पर पोस्ट करते हुए लिखा- “लव लैटर फ्रॉम माई बॉस”।

अपने पोस्ट में फैसल लिखते हैं कि- “विडंबना यह है कि लोकतांत्रिक भारत में आज भी औपनिवेशिक सोच वाले सेवा नियमों के जरिए सोच और समझ की स्वतंत्रता को दबाया जाता है। मैं इसे आपसे साझा कर रहा हूं क्योंकि मैं इन नियमों में परिवर्तन की आवश्यकता महसूस करता हूँ।“

नोटिस में कई अन्य संदर्भ देते हुए कहा गया है कि 2010 बैच के आईएएस अधिकारी “प्रथम दृष्ट्या अखिल भारतीय सेवा की शर्तों का उल्लंघन” बताया है और यह कहा गया है कि वे “एक सरकारी अधिकारी के तौर पर अपने कर्तव्यों के निर्वहन में ईमानदारी और अखंडता बनाए रखने में असफल हुए हैं”।

नोटिस के साथ एक स्क्रीनशॉट उस सवाल का दिया गया है जो कि फैसल के अनुसार दक्षिण एशिया में बढ़ते हुए बलात्कारों पर उनकी एक आलोचनात्मक टिप्पणी थी।

फैसल ने ट्विट किया था- पितृसत्ता + बढ़ती जनसंख्या + अशिक्षा + नशा + पॉर्न + तकनीक + अराजकता= रेपिस्तान।

“मेरा ट्विट एक टिप्पणी था जोकि दक्षिण एशिया में बढ़ती हुई बलात्कारी संस्कृति को लेकर था। मैंने ‘रेपिस्तान’ में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और उन सभी देशों को शामिल किया था, जहाँ महिलाओं को लेकर अपराध बहुत ही आक्रामक रूप ले चुके हैं। मेरी एक टिप्पणी ने बहुत ही महत्वपूर्ण संदेश दिया है”।

“मेरे ट्विटर दर्शक अकेले भारत से नहीं हैं। यह विश्वास करने का कोई कारण नहीं था कि यह टिप्पणी केवल भारत के बारे में थी। और यदि यह टिप्पणी थी भी, तब भी क्या मुझे उस समाज के मामलों पर टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है, जिसमें मैं रहता हूं? ”

उन्होंने सुझाव दिया कि पूछताछ नौकरशाही के प्रति गहन श्रद्धा का एक पारंपरिक मामला था, “जहां एक छोटे अधिकारी ने नियमों की गलत व्याख्या की और फ़ाइल बिना किसी विचार-विमर्श के ऊपर और नीचे भेजी गई”।

फैसल कम से कम फिक्रमंद हैं, हालांकि, जैसा कि उन्होंने कहा था कि कानून उनके पक्ष में है। “कोई मामला ही नहीं है। हमारे पास संवैधानिक और कानूनी सुरक्षा के उपाय हैं। हम लोकतंत्र में रह रहे हैं और जब तक हम नैतिकता पर समझौता नहीं करते है, तब तक कोई भी हमें क्षति नहीं पहुंचा सकता ।

आईएएस अफसर इस नोटिस के सार्वजनिक किये जाने से आगे होने वाले संभावित परिणामों को लेकर चिंतित नहीं हैं, वो कहते हैं की ज़्यादा से ज़्यादा उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाएगा ।

“आखिरकार यह एक नौकरी है और कुछ भी नहीं। नौकरियां बदली जा सकती हैं। लेकिन मुझे पूरा भरोसा है कि जब तक भारत का सुप्रीम कोर्ट वहां है, तब तक मुझे अपने विचारों को ट्विट करने के लिए फांसी  नहीं दी जा सकती है, ” उन्होंने द प्रिंट को बताया।

“यह देश के उन सरकारी कर्मचारियों के भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बारे में सवाल है, जिनकी संख्या लाखों हैं। इस बहस को उस अर्थ में देखा जाना चाहिए, “उन्होंने कहा।

सरकार की आलोचना करने के अधिकार के बारे में, फैसल ने कहा, “मुझे लगता है कि अगर सरकार की आलोचना की जाती है तो सरकार को असुरक्षित महसूस नहीं करना चाहिए। जब तक शांति का उल्लंघन करने की संभावना न हो, स्वतंत्र भाषण की अनुमति दी जानी चाहिए। ”

एक दुर्लभ और मुखर नौकरशाह

जम्मू-कश्मीर कैडर के एक अधिकारी फैसल, अक्सर राज्य और केंद्र सरकारों की आलोचना करने के लिए सोशल मीडिया में ले गए हैं। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, “वह उन दुर्लभ नौकरशाहों में से एक है जो जरूरत पड़ने पर सरकार की आलोचना करेगा, और नतीजतन, वह न तो आईएएस लॉबी और न ही केंद्र सरकार के साथ मिल पाएगा।”

“उन्हें आम तौर पर विरोधी माना गया है … जबकि वह एक कार्यकर्ता अधिक है” अधिकारी ने कहा।

धारा के विपरीत बहने के लिए जाना जाता है, फैसल।

आईएएस अधिकारियों के बीच व्यापक रूप से प्रसारित एक नोट में, फैसल ने तर्क दिया था, “यूपीएससी परीक्षा की संरचना ऐसी है कि लोग विभिन्न शैक्षिक पृष्ठभूमि के साथ आईएएस में प्रवेश करते हैं, और एक ऐसे सिस्टम में समाप्त होते हैं जहां एक आलू विशेषज्ञ रक्षा की देखभाल कर रहा है, एक पशु चिकित्सक इंजीनियरों की देखरेख कर रहा है, एक इतिहास स्नातक स्वास्थ्य नीति को निर्देशित कर रहा है और बाकी सब भी इसी तरह। ”

एक कश्मीरी, घाटी के मुद्दों के बारे में काफी मुखर रहा है। 2002 में फैसल के पिता की उनके “पूर्व-मेडिकल टेस्ट से पहले अज्ञात आतंकवादियों”  द्वारा हत्या कर दी गई थी।

उदाहरण के लिए,  उन्होंने पिछले महीने एक ट्वीट में कहा था, “कश्मीरियों के बारे में कुछ सोचने से पहले, एक कदम वापस लें और खुद से पूछें, क्या होगा यदि आपको उस दर्द से गुज़रना पड़ा जिससे कश्मीरी पिछले तीस सालों से गुज़र रहे हैं  या क्या होगा यदि किसी अन्य समुदाय को कश्मीर पीड़ितों की तरह ही पीड़ित होना पड़े, यह कैसा महसूस होगा? मुझे यकीन है कि आपकी नफरत सहानुभूति में बदल जाएगी। ”

जब उनसे पूछा गया कि क्या वह कश्मीर पर अपनी टिप्पणियों के साथ बहुत सी परेशानी को उजागर कर रहे हैं, तो उन्होंने कहा, “कश्मीर की स्थिति से मेरा जीवन कई तरीकों से प्रभावित हुआ है। एक नागरिक के रूप में, मैं अलग-थलग कैसे रह सकता हूं? मुझे अपना काम करने के लिए भुगतान मिल रहा है, लेकिन अनुबंध में शामिल नहीं है कि मैंने अपने मासिक वेतन के लिए अपनी अभिव्यक्ति और विवेक को बाँध दिया। ”

“मैं केंद्रवादी, एक लोकतांत्रिक और सबसे ऊपर एक मानवतावादी हूं। मैं निश्चित रूप से भीड़ हिंसा, बलात्कार संस्कृति, अल्पसंख्यक उत्पीड़न, मानवाधिकार उल्लंघन और साम्राज्यवाद के खिलाफ हूं।”

हालांकि, उन्होंने स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया कि पूछताछ के साथ कश्मीरी होने के साथ कुछ भी संबंध था। “हर्गिज नहीं। मुझे लगता है कि नौकरशाही इन सवालों में नहीं जाती है। यह एक अंधी मशीन है जो उन नियमों को पहचानती है न कि उनके पीछे खड़े  हुए व्यक्ति को। ”

अंत में जब उनसे पूछा गया कि क्या यह पूछताछ सोशल मीडिया और ट्विटिंग से आपका एक ब्रेक है, उन्होंने कहा, “बिलकुल नहीं। मैं यहाँ हमेशा रहने और व्यस्त रहने के लिए हूँ। आने वाले दिनों में आप मुझसे और अधिक सुनेंगे। ”

Read in English : Facing inquiry for tweet, IAS officer says didn’t mortgage freedom for monthly salary

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