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Friday, 29 March, 2024
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नरेंद्र मोदी की ‘पकोड़ानॉमिक्स’ नोएडा में हुई डीप फ्राई

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फिल्म सिटी में पकौड़ा और चाय बेचने वाले विक्रेताओं को क्षेत्र में यातायात जाम की शिकायतों के बाद हटा दिया गया। वे इस कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए पूछते हैं कि प्रधान मंत्री द्वारा पकौड़ा विक्रेताओं को बढ़ावा देने का क्या हुआ।

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी के ठीक बाहर, सड़क के किनारे दुकान चलाने वाले विक्रेताओं को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के कुख्यात ‘पकौड़ानोमिक्स’ पर अमल करने में मुश्किल हो रही है।

लगभग तीन हफ्ते पहले नोएडा पुलिस ने नोएडा के सेक्टर 16 ए, जो कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में मीडिया घरों का नया केंद्र है, से भोजन, सिगरेट और चाय बेचने वाले 70 से अधिक सड़क विक्रेताओं को हटा दिया। हालांकि, अधिकारियों और स्थानीय प्रशासन ने दावा किया कि इन स्टालों को हटाने के लिए कोई आधिकारिक आदेश नहीं था।

19 जनवरी को, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि आपके कार्यालय के सामने एक पकौड़े की दुकान खोलने को भी रोजगार के रूप में गिना जाता है।उन्होंने कहा, “व्यक्ति की 200 रुपये की दैनिक कमाई कभी भी किसी भी किसी खाते में नहीं आती है। सच्चाई यह है कि बड़ी संख्या में लोगों को नियोजित किया जा रहा है।”

मोदी ज़ी न्यूज को एक साक्षात्कार में सालाना दो करोड़ नौकरियां देने के सरकार के चुनावी वादे के बारे में एक सवाल का जवाब दे रहे थे।

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अब, नोएडा के पकौडा विक्रेता केवल बेरोजगार ही नहीं हैं, जैसा कि बाद में पता चला है, बल्कि विक्रेताओं का मानना है कि उनको हटाने की फिल्म सिटी के मीडिया हाउसों के उच्च रैंकिंग संपादकों की करतूत थी

 मुख्य अचल संपत्ति

एक दशक से अधिक समय तक फिल्म सिटी में चाय और पकोड़ा बेचने वाले संतोष ने दिप्रिंट से बात करते हुए बताया कि पीड़ित विक्रेताओं के एक समूह ने पिछले हफ्ते कैलाश अस्पताल में संस्कृति राज्य मंत्री महेश शर्मा से मुलाकात की, महेश शर्मा अस्पताल मालिक भी हैं। भाजपा सांसद गौतमबुद्ध नगर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, नोएडा जिसका एक हिस्सा है।

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विक्रेताओं से मिलते हुए महेश शर्मा

बैठक के दौरान, शर्मा के निजी सहायक ने विक्रेताओं से बताया कि एक पत्रकार ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।

संतोष ने कहा, “वे कह रहे थे कि मीडिया से जुड़े कुछ लोग सड़क के दूसरी तरफ यातायात जाम में फंस जाते थे और इसीलिए उन्होंने शिकायत की थी।”

विक्रेताओं ने शर्मा को अपनी कठिनाइयों और मांगों के बारे में बताते हुए एक पत्र दिया, शर्मा ने उन्हें आश्वस्त किया कि वह संपादकों को बुलाएंगे।

नोएडा में सेक्टर 20 पुलिस स्टेशन में एसएचओ मनीष सक्सेना, फिल्म सिटी जिनके अधिकार क्षेत्र में शामिल है, ने संतोष के संस्करण की पुष्टि की।

सक्सेना ने दिप्रिंट को बताया, “फिल्म सिटी में मीडिया हाउस के मुख्य संपादक, प्रमुख और मालिक, जिन्होंने शिकायत दर्ज कराई थी।”

उन्होंने कहा कि शिकायत इस तथ्य पर आधारित थी कि ये विक्रेता सड़कों को अवरुद्ध करते थे, बड़ी भीड़ को आकर्षित करते थे और यातायात जाम होने का कारण बनते थे।

सक्सेना ने कहा, “उन्होंने (मीडिया हाउस एडिटर्स) बताया कि इन विक्रेताओं के कारण बाहरी असंवैधानिक तत्व रात में शराब पीते हैं और नास्ता करते हैं।”

चूंकि मंत्री के साथ बैठक से कोई वास्तविक समाधान नहीं निकला है, इसलिए अपने मामले का दबाव बनाते हुए विक्रेता अब फिल्म सिटी में काम कर रहे कुछ प्रमुख संपादकों को एक पत्र लिखने की योजना बना रहे हैं।

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सुधीर चौधरी को पत्र सौपते हुए विक्रेता विक्रेता

दिशाहीन धर्मयुद्ध

16 मई को, सेक्टर 20 के स्टेशन से एक पुलिस वैन 2:30 बजे फिल्म सिटी पहुची और सभी विक्रेताओं से दुकान को स्थायी रूप से बंद करने के लिए कहा। संतोष ने कहा कि, “जब हमने विरोध किया तो पुलिस वालों ने कहा कि जब तक हम लोगो (विक्रेताओं) को लाइसेंस और आदेश नहीं मिलते हैं, हम लोग यहाँ काम नहीं कर सकते हैं।”

यहाँ तक कि पुलिस के लिए भी ये निर्देश बिना चेतावनी के आये थे .

सक्सेना ने कहा,” मैंने उनके नाम या उनके स्थानों को नोट नहीं किया और सिर्फ उन लोगो से हटने के लिये कहा जो अवैध रूप से वहां थे। मैं सटीक संख्या की पुष्टि तो नहीं कर सकता पर शायद वे 40 या 50 होने चाहिए,” .

यह आदेश किसने दिए हैं वह अभी तक अस्पष्ट है।

सक्सेना का मानना है कि आदेश “जिला मजिस्ट्रेट से आया होगा, क्योंकि यह मामले विभाग से संबधित अधिकारी सम्भालते है”। नोएडा शहर के मजिस्ट्रेट महेंद्र कुमार सिंह ने हाल ही में नवभारत टाइम्स में इसे अस्वीकार कर दिया था।

सिंह ने कहा, “फिल्म सिटी से  खोमचेवाला को हटाने का निर्णय प्रशासन द्वारा नहीं लिया गया है और कार्रवाई पुलिस द्वारा ही करी गई है। इस बारे में हमारे पास कोई जानकारी नहीं है।

नारायण, 45 वर्षीय निष्कासित विक्रेता जो अब पेड़ और कारों के पीछे छुपकर दाम बढ़ा कर सिगरेट बेचता है, भी वही कहानी दोहराता है।

“महेश शर्मा के साथ इस बैठक से पहले विक्रेता पंकज सिंह के पास भी गए थे। लेकिन उन्होंने कहा कि यह कार्य मेरे हाथ से बाहर है। ”

पंकज सिंह गृह मंत्री राजनाथ सिंह के बड़े बेटे हैं और नोएडा से बीजेपी के विधायक हैं।

संतोष ने कहा,” “हमने पंजक सिंह जी से संपर्क किया और उन्हें हमने अपने दैनिक मुद्दों के बारे में बताया, लेकिन उन्होंने दोनो बार हमारे मुद्दों को  (एसआईसी) नहीं सुना,”.

डिजिटल विरोध

नारायण और संतोष न केवल एक दूसरे के साथ बल्कि ‘फिल्म सिटी ग्रुप’ के 28 अन्य सदस्यों के साथ संपर्क में रहने के लिए व्हाट्सएप का उपयोग करते हैं जिनमें समोसा, पकोडा, चाय और सिगरेट के विक्रेता शामिल हैं, और वे भी सभी कानूनी दवाब को लेकर परेशान है .

इस समूह का उपयोग सदस्यों के मध्य होने वाली बैठकों के लिए स्थानों का निर्धारण और समय समन्वय के लिए किया जाता है, उनकी मांगों से संबंधित समाचार लेखों के लिंक और छवियों को साझा करने के साथ-साथ मल्टीमीडिया द्वारा  विरोध करने के लिए एक-दूसरे को प्रोत्साहित किया जाता है। समूह के सदस्यों ने खुद के साथ -साथ अन्य विक्रेताओं की भी रिकार्डिंग की है जो छोटे वीडियो द्वारा अपनी चिंताओं को व्यक्त करते हैं।

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विक्रेताओं के व्हाट्स एप्प ग्रुप का स्क्रीनशॉट

वे मंत्रियों के साथ और सोशल मीडिया पर इन छोटी वीडियोस को संकलित करने, भेजने और साझा करने की उम्मीद करते हैं जिससे कि अधिकारियों पर दबाव बना सके।

निष्कासन से पहले यह पकोडा विक्रेता मोदी के भारत में नियोजित और डिजिटल रूप से समझदार आदर्श नागरिक होते। वही लोग अब पीएम के शब्दों का उपयोग अपने ऊपर हो रहें  अन्याय की याद दिलाने के रूप में करते हैं।

संतोष ने कहा कि, “हमारे प्रधानमंत्री का कहना है कि पकोडा बेचना रोजगार का एक साधन है, लेकिन फिर भी वे हमें यहां से बेदखल करते हैं।”

आगे का मार्ग

यहां तक कि सक्सेना ने दावा किया कि, “खोमचे वाले अवैध रूप से सरकारी भूमि का उपयोग कर रहे हैं”, विक्रेताओं का तर्क है कि यूपी कैबिनेट ने शहर के वेंडिंग जोंन को लेकर दिये गए दिशा निर्देशों को मंजूरी दे दी है लेकिन जमीन पर अभी कुछ भी नहीं बनाया गया है।

संतोष ने पूछा कि, “हमारे योगीजी (उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ) ने लखनऊ में यह भी कहा कि एक बार जब आप इसे (विशेष वेंडिंग जोन) प्राप्त कर लेंगे तो आपको इन समस्याओं से स्थायी रूप से राहत मिल जाएगी। लेकिन अगर वे ज़ोन बनाने से पहले हमारे स्टालों को नष्ट कर देंगे, तो वे हमें कुछ भी आवंटित कैसे करेंगे?

उन्होंने कहा, “वे चुनाव के पहले इन वादों को करते हैं, लेकिन चुनाव के बाद उन किये गए वादों में से कुछ भी नहीं निकल के आता है।”

संतोष अभी भी यही कहते है कि प्रधान मंत्री एक “अच्छे आदमी” हैं लेकिन सवाल ये है कि क्या बीजेपी भविष्य में उन जैसे लोगो की मदद करेगी। दूसरी तरफ नारायण ने कहा,” “मोदी सरकार का कोई मतलब नहीं है अगर वे गरीबों की सहायता भी नहीं कर सकते हैं।”

Read in English : Narendra Modi’s ‘pakodanomics’ is in hot oil in Noida

 

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