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Saturday, 20 April, 2024
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सरकार की सर्वश्रेष्ठ संस्थानों की सूची में मौजूद, जियो इंस्टिट्यूट का असल में नहीं कोई अता-पता

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3 साल में संस्थान में अधिक स्वायत्तता होगी; यूजीसी का कहना है कि यह ग्रीनफील्डश्रेणी के तहत चुना गया है।

नई दिल्ली: मोदी सरकार द्वारा देश के शीर्ष उच्च शिक्षा संस्थानों को प्रतिष्ठित संस्थान (आईओईएस) के रूप में ब्रांड करने के विचार के दो साल बाद, सोमवार को 20 के मूल प्रस्ताव में से केवल छह की घोषणा की गई थी।

लेकिन यह इकलौता आश्चर्य नहीं था। छः में से एक – जियो इंस्टीट्यूट, जिसे मुंबई में रिलायंस फाउंडेशन द्वारा संचालित किया जाना है, ने काम करना भी शुरू नहीं किया है।

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जियो इंस्टीट्यूट के लिए गूगल सर्च इन परिणामों को दिखता है

कॉलेज आने वाले तीन वर्षों में परिचालन शुरू करने के लिए तैयार होगा, ऐसा होने पर, अधिकांश संस्थानों की तुलना में सरकारी नियामकों से इसकी स्वायत्तता अधिक होगी।

आईओई (प्रतिष्ठित संस्थान) टैग इन छह संस्थानों को विशेष शक्तियां प्रदान करेगा, जैसे कि एक नया पाठ्यक्रम शुरू करने, विदेशी संकाय को नौकरी पर लेने और सरकारी मंजूरी के बिना विदेशी संस्थानों के साथ सहयोग करने की अधिक स्वायत्तता।

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जियो इंस्टीट्यूट सोमवार को मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा घोषित सूची में अपना स्थान, दिल्ली और बॉम्बे के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटीज), भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु और दो निजी संस्थानों – बिड़ला प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान (बीआईटीएस), पिलानी, और मणिपाल अकादमी ऑफ हायर एजुकेशन के साथ साझा कर करता है।

सूची में जियो की मौजूदगी अत्यंत जिज्ञासापूर्ण है क्योंकि संस्थानों का चयन करने के लिए कार्यरत पैनल को आईओई टैग के लिए 20 कॉलेज और विश्वविद्यालय चुनने थे, और अंत में छः ही चुने गए। छूटे हुए कॉलेजों में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), दिल्ली विश्वविद्यालय और कई अन्य आईआईटी शामिल हैं।

घोषणा के बाद हुए विवाद पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सोमवार को एक स्पष्टीकरण जारी किया।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “यूजीसी का खंड 6.1 (विश्वविद्यालयों के रूप में समझे जाने वाले प्रतिष्ठित संस्थान) विनियमन 2017, एक संस्थान स्थापित करने के लिए एकदम नया प्रस्ताव होना चाहिए जिससे कि उसे इसके अंतर्गत माना जा सके”

“तदनुसार, प्रायोजक संगठनों द्वारा नई या ग्रीनफील्ड परियोजनाओं की स्थापना के लिए एक अलग श्रेणी के आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। इस प्रावधान का उद्देश्य जिम्मेदार निजी निवेशों को वैश्विक स्तर की शिक्षा का निर्माण करने के लिए प्रेरित करना है।”

जियो, इस श्रेणी के अंतर्गत आवेदन करने वाले 11 संस्थानों में से एक था। अन्य आवेदनकर्ताओं में ओडिशा में एक विश्वविद्यालय के लिए वेदांत और भारती विश्वविद्यालय के लिए एयरटेल शामिल था।

ग्रीनफील्ड श्रेणी के अंतर्गत चयनित संस्थान

पिछले सोमवार को, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने भी जियो के शामिल होने का इस आधार बचाव किया था कि इसे ग्रीनफील्ड संस्थानों -नए या प्रस्तावित संस्थान जो अभी तक अस्तित्व में नहीं आये हैं, के नियमों के तहत चुना गया था। अधिकारियों के अनुसार ऐसे 11 संस्थानों ने आईओई टैग के लिए आवेदन किया था और जियो को उनके बीच से चुना गया था।

पूर्व चुनाव आयुक्त एन गोपालस्वामी, जिन्होंने संस्थानों का चयन करने के लिए पैनल का नेतृत्व किया, ने दिप्रिंट को बताया, “हमने जियो इंस्टीट्यूट को ग्रीनफील्ड श्रेणी के तहत चुना है, जो कि नए संस्थानों के लिए एक श्रेणी है; ऐसे संस्थान जिनका कोई इतिहास नहीं है। हमने इसके प्रस्ताव को देखा और यह टैग के लिए उपयुक्त साबित हुआ। उनके पास एक योजना है, वित्त पोषण है, परिसर के लिए जगह है और उक्त श्रेणी के अंतर्गत आवश्यक हर एक चीज है।”

उन्होंने आगे कहा, “ग्यारह ग्रीनफील्ड और 29 ब्राउनफील्ड (मौजूदा) निजी संस्थानों ने आवेदन किया था। उनमें से, ग्रीनफील्ड श्रेणी में से एक तथा ब्राउनफील्ड श्रेणी में से दो का चयन किया गया है।“

2016 में सरकार ने प्रतिष्ठित संस्थान बनाने की योजना की घोषणा की थी, जिसे पहले वह विश्व स्तरीय संस्थानों के नाम से बुलाने की योजना बना रहे थे। इसके पीछे का विचार विश्व रैंकिंग में पकड़ मजबूत करने के लिए इन संस्थानों को विशेष शक्तियाँ प्रदान करने का था।

संस्थानों के लिए मानदंड यह रखा गया था कि प्रतिष्ठित संस्थान के रूप में घोषित किए जाने के बाद शुरूआत के 10 वर्षों में उनमें किसी भी प्रसिद्ध रैंकिंग ढाँचें (जैसे टाइम्स हायर एजुकेशन वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग या क्यूएस या शंघाई) के शीर्ष 500 में स्थान बनाने की क्षमता होनी चाहिए और शीर्ष 500 में स्थान हासिल करने के बाद उनको शीर्ष 100 में अपनी जगह बनाने के लिए समय के साथ लगातार अपनी रैंकिंग में सुधार करना चाहिए।

Read in English : Jio Institute declared top-notch by Modi govt, but you can’t find it in Google search

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